
यही संदेश दे रही है यूपी पुलिस अपने खास ऑपरेशन – ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ के जरिए। बीते 24 घंटों में प्रदेश की धरती पर पुलिस ने 10 एनकाउंटर कर यह साफ कर दिया है कि ‘जीरो टॉलरेंस नीति’ अब सिर्फ कागजों की बात नहीं, बल्कि अपराधियों की हड्डियों तक पहुंच चुकी है।
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इन जिलों में चली पुलिस की गोली और अपराधियों की नींद
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लखनऊ: रेप के आरोपी की गिरफ्तारी
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गाजियाबाद: सिपाही की हत्या के आरोपी को लगी गोली
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शामली: गौ-तस्कर से मुठभेड़
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झांसी: इनामी बदमाश घायल
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बुलंदशहर: फिर एक रेप के आरोपी को घेरा
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बागपत: लूट के आरोपी को पकड़ने में सफलता
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बलिया: फरार अपराधी को गोली लगी
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आगरा: चोरी के आरोपी से मुठभेड़
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जालौन: डकैती के आरोपी की धरपकड़
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उन्नाव: हिस्ट्रीशीटर का हस्र किया ‘हिस्ट्री’
क्या है ‘ऑपरेशन लंगड़ा’?
‘ऑपरेशन लंगड़ा’ नाम सुनकर लगता है जैसे कोई फिल्म का सीक्वल हो, लेकिन असल में यह यूपी पुलिस की बेहद स्मार्ट और डरावनी स्ट्रेटजी है।
इस ऑपरेशन के तहत यदि अपराधी भागने या हथियार उठाने की कोशिश करता है, तो पुलिस घुटने के नीचे गोली मारती है – न जान जाती है, न चालाकी चलती है। नतीजा? अपराधी चलने-फिरने में अक्षम और बाकी बचे अपराधियों में खलबली!
2025 का हिसाब-किताब: आंकड़े बोलते हैं
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10,000+ मुठभेड़ें
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207 अपराधी ढेर
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17 पुलिसकर्मी शहीद
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हजारों गिरफ्तारियां और नये जीवन की शुरुआत
2017 से 2024 तक – पुलिस का ‘सात वर्षीय चक्रव्यूह’
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12,964 मुठभेड़ें
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27,117 गिरफ्तार
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1,601 घायल अपराधी
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सबसे आगे: मेरठ जोन – 3,723 मुठभेड़, 66 मौतें
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वाराणसी जोन: 21 मौतें
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आगरा जोन: 16 मौतें
फुल स्टॉप या क्वेश्चन मार्क?
जहां एक ओर सरकार और प्रशासन इस अभियान को “अपराध मुक्त उत्तर प्रदेश” की दिशा में एक ठोस कदम बता रहे हैं, वहीं दूसरी ओर मानवाधिकार संगठनों की भौंहें भी कभी-कभी उठती हैं। सवाल उठता है – क्या हर मुठभेड़ जरूरी होती है? लेकिन जब आंकड़े अपराध में गिरावट दिखा रहे हैं, तो जनता फिलहाल कह रही है – “ठोंको नहीं, रोक दो!”
यूपी पुलिस ने साबित कर दिया है कि कानून का हाथ सिर्फ लंबा ही नहीं, सटीक निशाना लगाने वाला भी हो सकता है। ‘ऑपरेशन लंगड़ा’ के जरिए अपराधियों को अब दोबारा सोचने पर मजबूर किया जा रहा है – “क्या अपराध करना वाकई चलने से ज्यादा जरूरी है?”
3 जून से राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा: भक्ति और श्रद्धा का अनोखा संगम